COVID-19 महामारी ने पिछले एक साल में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को विश्व स्तर पर प्रभावित किया
डिप्रेशन और अन्य मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं लोग

यह तो आप सभी जानते हैं शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो कोविड-19 के बारे में नहीं जानता होगा कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर अपने पैर पसार लिए हैं और दुनियाभर की पॉपुलेशन इस संकट से जूझ रही है इसके साथ ही लोग वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य की परेशानी से जूझ रहे हैं अधिकतर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उनके आगे का जीवन कैसा होगा । कोविड-19 महामारी ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है, शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि कोविड-19 महामारी के कारण लोग डिप्रेशन में चले गए हैं और लोगों में चिंता करने या फिर चिंता से होने वाली परेशानियां अधिक बढ़ गई है शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर शोध किया है और इससे पता लगाया है कि जो लोग कोरोनावायरस के कारण 24% ऐसे व्यक्ति हैं जो अवसाद में है और 21% ऐसे व्यक्ति हैं जो चिंता ग्रस्त है ।
कोविड-19 ने लोगों का मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित किया
हमने जो सर्च किया है उसमें पाया है कि इस महामारी ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित किया है मानसिक स्वास्थ्य अन्य मुद्दों में एक व्यापक वैश्विक स्तर पर फैलता हुआ नजर आ रहा है । यह भी बताया गया है कि साइकोलॉजिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने अवसाद और चिंता प्रसार के लिए अलग डेटाबेस के लिए अतिरिक्त , पब्म्ड, मेड ऑनलाइन, वेब ऑफ साइंस, और मेडरिक्सिव से डाटा का विश्लेषण किया है और कुल मिलाकर , 60 सम्मिलित अध्ययनों में 226,638 व्यक्तियों को शामिल किया गया है
कोविड-19 से होने वाले अवसाद और चिंता पर रिसर्च करने वाली शोध टीम ने यह भी सर्च किया है कि एशिया में प्रत्येक व्यक्ति 18% की दर से और विशेषकर चीन में अवसाद और चिंता के विकार का प्रसार सबसे कम था।
भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों के नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी कोविड-19 का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है
अध्ययन करके यह पता लगाया गया है कि लोगों पर कोविड-19 का बहुत प्रभाव पड़ा है यह तो जानते ही हैं कि अधिकतर सभी देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई है और दुनिया भर के तमाम लोग मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और अधिकतर लोग मानसिक स्वास्थ्य के बिगड़ने से परेशान है देशभर में या फिर अन्य देशों में चाहे वह सार्वजनिक परिवहन क्लोजर, स्कूल क्लोजिंग, कार्यस्थल क्लोजर, सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द करना, या समारोहों पर प्रतिबंध-केवल सार्वजनिक परिवहन क्लोजर ने चिंता इतनी फैला दी है कि इसने व्यापक रूप ले लिया है इस व्यापक रूप के कारण इस पर वृद्धि हो रही है विशेष रूप से यूरोप के नागरिक इस परेशानी से जूझ रहे हैं.
यूरोप देश की 26% आबादी और दुनिया के अन्य एशियाई देशों में 39% लोगों में अवसाद का प्रसार देखा है शोधकर्ताओं ने विश्लेषण कर यह पता लगाया है कि अन्य देशों में 29% की तुलना में चीन में अवसाद का प्रसार 16% कम था।